परिचय
भीष्म के पिता कौन थे, महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थे। वे एक महान योद्धा, एक कुशल राजनीतिज्ञ और एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति थे। भीष्म का जन्म राजा शांतनु और गंगा नदी के पुत्र के रूप में हुआ था। उनके जन्म का नाम देवव्रत था।
शांतनु के साथ गंगा का विवाह
राजा शांतनु को गंगा नदी से प्रेम हो गया था। उन्होंने गंगा से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। गंगा ने शांतनु को एक शर्त रखी कि वह उसे अपने अनुसार काम करने की पूरी स्वतंत्रता देगा। शांतनु ने गंगा की शर्त मान ली और उनसे विवाह कर लिया।
गंगा ने शांतनु को बताया कि वह उसे सात पुत्र देगी। उसने सात पुत्रों को जन्म दिया, लेकिन उनमें से प्रत्येक को उसने नदी में बहा दिया। शांतनु ने गंगा को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुए। Health
देवव्रत की भीष्म प्रतिज्ञा
शांतनु को अपने पुत्रों के खोने का बहुत दुख हुआ। उन्होंने गंगा से कहा कि वह उनके साथ नहीं रह सकती। गंगा ने शांतनु को बताया कि उनके सातवें पुत्र को वह नहीं बहा पाएगी। गंगा ने सातवें पुत्र को शांतनु को सौंप दिया।
शांतनु ने अपने पुत्र का नाम देवव्रत रखा। देवव्रत ने अपने पिता की दुखद स्थिति को देखकर यह प्रतिज्ञा ली कि वह आजीवन ब्रह्मचारी रहेगा और अपने पिता के लिए हस्तिनापुर की रक्षा करेगा।
भीष्म के जीवन का संघर्ष
देवव्रत ने अपनी प्रतिज्ञा को निभाया। उन्होंने अपने पिता के लिए हस्तिनापुर की रक्षा की। उन्होंने कई युद्धों में लड़ाई लड़ी और अपने पिता के राज्य को सुरक्षित रखा।
देवव्रत को भीष्म के नाम से जाना जाने लगा। वे महाभारत के युद्ध में भी शामिल हुए। उन्होंने कौरवों की ओर से लड़ाई लड़ी। भीष्म ने युद्ध में कई योद्धाओं को पराजित किया।
भीष्म को अंत में अर्जुन ने युद्ध में हराया। उन्होंने अर्जुन को बताया कि वह अविनाशी हैं और उन्हें मरने की इच्छा नहीं है। अर्जुन ने भीष्म को एक वरदान दिया कि वह अपनी इच्छानुसार मृत्यु प्राप्त कर सकते हैं।
भीष्म ने अपने जीवन के अंत में गंगा नदी में प्रवेश किया और समाधि ले ली। भीष्म एक महान व्यक्ति थे, जिन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा को निभाया और अपने पिता के लिए हस्तिनापुर की रक्षा की।
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भीष्म के जीवन से सीखें
भीष्म के जीवन से हमें कई सीखें मिलती हैं। हमें अपने दायित्वों को निभाना चाहिए, भले ही वे कितने भी कठिन हों। हमें अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और उनके लिए हमेशा खड़े रहना चाहिए। हमें अपनी प्रतिज्ञाओं को निभाना चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाए। रावण के मरने के बाद उसकी लंका को क्या हुआ था
भीष्म के जीवन के प्रमुख घटनाक्रम
- शांतनु और गंगा का विवाह
- गंगा द्वारा सात पुत्रों को नदी में बहा देना
- देवव्रत की भीष्म प्रतिज्ञा
- भीष्म द्वारा हस्तिनापुर की रक्षा
- भीष्म का महाभारत युद्ध में भाग लेना
- भीष्म की अर्जुन से हार
- भीष्म की गंगा नदी में समाधि
- भीष्म के बारे में कुछ रोचक तथ्य
भीष्म को “नदीज” भी कहा जाता था, क्योंकि उनका जन्म गंगा नदी से हुआ था। भीष्म को “शांतनव” भी कहा जाता था, क्योंकि वह राजा शांतनु के पुत्र थे। भीष्म को “तालकेतु” भी कहा जाता था, क्योंकि उन्होंने अपने पिता के लिए हस्तिनापुर की रक्षा की थी। भीष्म को “पितृभक्त” भी कहा जाता था, क्योंकि उन्होंने अपने पिता के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया था।